***
इब्तदा ए इश्क का, कोई फसाना चाहता हूँ,
बात मुहब्बत की, मैं दोहराना चाहता हूँ ।।
बात मुहब्बत की, मैं दोहराना चाहता हूँ ।।
तुम किस तरह मिले थे उस हर दिल अज़ीज़ से,
वो वाकया मैं सबको बताना चाहता हूँ ।।
वो वाकया मैं सबको बताना चाहता हूँ ।।
दिल यूँ हीं तो तुम्हारा न हुआ होगा मुतमईन ,
वो किस्सा ए याराना , पुर ठिकाना चाहता हूँ ।।
वो किस्सा ए याराना , पुर ठिकाना चाहता हूँ ।।
लोग जीते हैं प्यार पर, और मरते हैं प्यार में,
दिल ढूँढता है जो, वो आब ओ दाना चाहता हूँ ।।
दिल ढूँढता है जो, वो आब ओ दाना चाहता हूँ ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें