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दिल को अपनी ही हद से बेचैनी
आँख को हद की भी परवाह नहीं।
मुश्किलों से जो टकरा चुके हैं,
उनको आसानियों की चाह नहीं।
उनको आसानियों की चाह नहीं।
राह हर एक वहीं जाती है,
खुदा के घर की एक राह नहीं।
खुदा के घर की एक राह नहीं।
पल का साथ भी तो साथ है पर,
लोग कहते हैं वो हमराह नहीं।
लोग कहते हैं वो हमराह नहीं।
हमने हर दर पे दी हैं आवाज़ें,
ढूंढता है जो वो गुमराह नहीं ।
ढूंढता है जो वो गुमराह नहीं ।
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