मंगलवार, 1 जून 2010

कि कुछ कह दिया होता...!

मै आज अचानक उस से उसी मोड़ पे मिला
एक अरसे बाद

मुझे लगा वो मुझे पहचान रही थी

शायद वो कुछ बोले यही सोच रहा था मै और
वो भी शायद यही सोच रही थी

इसी इंतज़ार में दूरी कम होती गयी और वो
तिरछी नज़र से मुझे देखते हुए आगे बढ़ गयी

वापस आकर मै सोचता रहा
कि कुछ कह दिया होता

2 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

Shahid Ansari ने कहा…

@sanjay shukriya ..!