बातें कुछ चुभने वाली बातें
एक कांटे की तरह
जो पाँव में चुभ
गया हो और रह रह के दर्द देता हो
कभी अनजाने में कही
कभी जान बूझ के सुनाई गयी
जैसे सुनना मजबूरी हो
अनसुनी कर भी दिया
तो दोहराई जाती है
चौराहों पर पोस्टर
बना के लगा दी जाती हैं
घूमती रहती है वो इस कान
से उस कान
कभी तीखी ज़बान में कभी
मीठी गोली की तरह
दी जाती है हर रोज़
बातें कुछ अजीब बातें
# शाहिद
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