बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

आओ

कभी जो राह बदल सको
तो मुड़ आओ

इधर उधर की सारी राहों से
दूर आओ

हंसो कभी खुल के ,कभी हौले से
मुस्कुराओ

हवा सा बह चलो तुम चाहे तुम जिधर
जाओ

कभी जो आ सको
तुम वापसी में घर आओ


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