कभी जो राह बदल सको
तो मुड़ आओ
इधर उधर की सारी राहों से
दूर आओ
हंसो कभी खुल के ,कभी हौले से
मुस्कुराओ
हवा सा बह चलो तुम चाहे तुम जिधर
जाओ
कभी जो आ सको
तुम वापसी में घर आओ
तो मुड़ आओ
इधर उधर की सारी राहों से
दूर आओ
हंसो कभी खुल के ,कभी हौले से
मुस्कुराओ
हवा सा बह चलो तुम चाहे तुम जिधर
जाओ
कभी जो आ सको
तुम वापसी में घर आओ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें