हमसफ़र तू न सही
ख्वाब तो पूरे होंगे,
चमन में खिलेंगे फूल
फ़िज़ा महकेगी,
कोई तारा भी तो चमकेगा
गगन में फिर से ,
फिर से कोई ख्वाब
चरागों में रोशन होगा।
बदले मौसम में बहारों
के इशारें होंगे,
कुछ नए दोस्त भी
समंदर पे किनारे होंगे,
आइना फिर से
मुझे कह देगा
हकीकत मेरी ,
मैं अपनी कश्ती दरिया
में फिर से उतारूंगा,
मेरा साहिल मुझे मिल
जाएगा
एक न एक दिन मुझको
ख्वाब तो पूरे होंगे,
चमन में खिलेंगे फूल
फ़िज़ा महकेगी,
कोई तारा भी तो चमकेगा
गगन में फिर से ,
फिर से कोई ख्वाब
चरागों में रोशन होगा।
बदले मौसम में बहारों
के इशारें होंगे,
कुछ नए दोस्त भी
समंदर पे किनारे होंगे,
आइना फिर से
मुझे कह देगा
हकीकत मेरी ,
मैं अपनी कश्ती दरिया
में फिर से उतारूंगा,
मेरा साहिल मुझे मिल
जाएगा
एक न एक दिन मुझको
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें