सोमवार, 9 मई 2011

कोई चीज़ जो आपसे जुड़ गयी हो
 वो चाह के भी  छूट नहीं सकती

आप उस को दूर छोड़ के आना 
चाहते हैं जहाँ से वो आप 
तक आने का रास्ता भूल जाए 

 पर वो ढूंढ ही लेती है रास्ता 
उन तमाम रुकावटों को पार करके
वो वापस आपकी चौखट पर आ जाती है

अबकी बार उसे वापस छोड़ना मुनासिब नहीं लगता 

आप दरवाज़ा खोल उसे अन्दर आने देते हैं