मंगलवार, 12 सितंबर 2017

ग़ज़ल,

आईना शौक का, वो टूट गया,
वक्त शीरीं था जो, वो छूट गया ।।
ग़म ए दुनिया ने, मसरूफ रखा,
ख्वाब बुलबुला सा,वो फूट गया ।।
हमने रहबर बनाया था उसको,
काफ़िला मेरा था, वो लूट गया ।।

____शाहिद अंसारी

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