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हमें पढ़ना चाहिए
उन लेखकों को भी
जो नहीं पढ़े गये अब तक,
उन लेखकों को भी
जो नहीं पढ़े गये अब तक,
उनका लिखा
जीवन का निचोड़
जो कागज़ पर लिखा तो गया
पर उसे कोई पाठक नहीं मिला।
जीवन का निचोड़
जो कागज़ पर लिखा तो गया
पर उसे कोई पाठक नहीं मिला।
हमें पढ़ना चाहिए
उन लेखकों को भी
जिनका नाम अब कोई
नहीं जानता,
उन लेखकों को भी
जिनका नाम अब कोई
नहीं जानता,
जिन्होंने अपनी रातें
कुर्बान कर दीं
वो कहने के लिए
जो तब वो देख रहे थे,
कुर्बान कर दीं
वो कहने के लिए
जो तब वो देख रहे थे,
क्योंकि जो बिक रहा है
वो रचना तो है,
पर जो नहीं बिक रहा है
वो कु-रचना ही हो
ऐसा ज़रूरी तो नहीं,
वो रचना तो है,
पर जो नहीं बिक रहा है
वो कु-रचना ही हो
ऐसा ज़रूरी तो नहीं,
उसका संदेह तो तभी दूर होगा
जब उसे पढ़ा जाए।
जब उसे पढ़ा जाए।
हमें पढ़ना चाहिए उन
लेखकों को भी
जिनका जि़क्र
साहित्य के सम्मेलनों
में नहीं हो रहा,
लेखकों को भी
जिनका जि़क्र
साहित्य के सम्मेलनों
में नहीं हो रहा,
और उनको भी
जिन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिला।
जिन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिला।
स्याही से सफेद
कागज़ पर जो चित्र
उन्होने उभारे
उसे खोज लेना चाहिए
भीमबेटका की गुफा की तरह,
कागज़ पर जो चित्र
उन्होने उभारे
उसे खोज लेना चाहिए
भीमबेटका की गुफा की तरह,
क्या पता
कहीं अजंता और एलोरा
छिपा हो उन पुस्तकों में,
कहीं अजंता और एलोरा
छिपा हो उन पुस्तकों में,
हमें पढ़ना चाहिए
उन लेखकों को भी जिन्हें
सुना नहीं गया उनके जीवनकाल में,
उन लेखकों को भी जिन्हें
सुना नहीं गया उनके जीवनकाल में,
वो रह गये गुमनाम
अपनी किताबों की तरह।
अपनी किताबों की तरह।
और साथ ही रह गये
गुमनाम होरी और धनिया
सरीखे कई पात्र
जिन्हें जानना था
उस समाज को,
गुमनाम होरी और धनिया
सरीखे कई पात्र
जिन्हें जानना था
उस समाज को,
हमें पढ़ना चाहिए
उन लेखकों को भी
जिन्हें लेखक होने का दर्जा नहीं मिला।
उन लेखकों को भी
जिन्हें लेखक होने का दर्जा नहीं मिला।
जो बनकर रह गये
असफलता के एक प्रतीक
क्योंकि सफलता का माप
तभी होता है जब उसे तराजू पर रखा जाए।
असफलता के एक प्रतीक
क्योंकि सफलता का माप
तभी होता है जब उसे तराजू पर रखा जाए।
~शाहिद
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