हम ख़याल
मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010
बाज़ दफा अच्छी लगती है झूटी बातें भी
दिल बहल जाता है कभी कभी उनसे भी
सुबह होते ही आँख खुलने का मकसद
समझ जाते जो हम पूरा तो रोते भी
पता है शौक़ रखना अच्छी बात है लेकिन
अगर ऐसा हुआ होता तो हम कुछ और होते भी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें