शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

ऐसे ही...

१.
मुझे जिंदगी कि तलाश थी ,तुझे मुझ से था क्या वास्ता
मै ढूढता तुझे रहा , तू सामने से निकल गया
२.
वो शाम थोड़ी अजीब थी ,ये शाम भी कुछ कम नहीं
उस दिन तू मुझसे खफा सा था ,आज जिंदगी खफा सी है
३.
बड़े खुशनसीब है वो लोग भी ,तुझे देखते ,तुझे चाहते
मैंने छू के देखा था जब तुम्हे ,कुछ और ना फिर देखा किया

कोई टिप्पणी नहीं: