रविवार, 3 अक्तूबर 2010

एक बार ..........

एक बार बस एक बार
मुझसे झगड़ के चले जाओ

बुरा बन जाओ मेरे लिए

इतना की फिर कभी याद ना करूँ मै तुम्हे

वो धागा तोड़ दो जिस से जुड़ा हुआ हूँ मै तुमसे
वो रास्ते बंद कर दो जो तुम्हारी तरफ जाते हो

बन जाओ अनजान मेरे लिए

इतना की फिर कभी ना जान पाऊं तुम्हे 

एक बार बस एक बार
मुझसे बिछड़ के चले जाओ

  # शाहिद

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