गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

कहे तो सब है ज़माने से ना उलझा कीजे
समझ ना पाए हम ,आप समझे है तो समझा कीजे

ज़हर ये प्यार का घुल जाए जो नसों में फिर
दवा  कोई ना काम आएगी फिर क्या कीजे

जो खुद से हो ना पाए तो यही किया कीजे
किसी और के कंधे से गोली दागा कीजे

लोग मरते है यहाँ रोज़ फिर है क्या अफ़सोस
दिल खोल के फिर यहाँ जिया कीजे

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