कोई चीज़ जो आपसे जुड़ गयी हो
वो चाह के भी छूट नहीं सकती
आप उस को दूर छोड़ के आना
चाहते हैं जहाँ से वो आप
तक आने का रास्ता भूल जाए
पर वो ढूंढ ही लेती है रास्ता
उन तमाम रुकावटों को पार करके
वो वापस आपकी चौखट पर आ जाती है
अबकी बार उसे वापस छोड़ना मुनासिब नहीं लगता
आप दरवाज़ा खोल उसे अन्दर आने देते हैं
2 टिप्पणियां:
वाह, बधाई।
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
shukriya
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