मैंने देखे
नन्हें सितारे
जो आसमान में उग रहे थे।
नन्हें सितारे
जो आसमान में उग रहे थे।
उन सितारों को
चुप करा दिया गया।
चुप करा दिया गया।
जिन आवाज़ों से
घर और बाहर गुलज़ार रहते थे,
वो खामोश हो गये हैं।
घर और बाहर गुलज़ार रहते थे,
वो खामोश हो गये हैं।
ये अब कोई एक
घटना नहीं,
हर रोज़ की कहानी है।
घटना नहीं,
हर रोज़ की कहानी है।
कभी इस शहर
कभी उस शहर,
कभी इस गाँव
कभी उस गाँव,
कभी उस शहर,
कभी इस गाँव
कभी उस गाँव,
कहानियाँ वही
जो दोहरायी जाती रहीं,
जो दोहरायी जाती रहीं,
वहशीपन इतना कि रूह
कांप जाय,
कांप जाय,
अब हम इंसान कहलाने
लायक नहीं,
लायक नहीं,
हैवान अब चारों ओर हैं,
चाहें जिस तरफ नज़र डालिए।
चाहें जिस तरफ नज़र डालिए।
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