मंगलवार, 10 जुलाई 2018

मंदसौर

मैंने देखे
नन्हें सितारे
जो आसमान में उग रहे थे।
उन सितारों को 
चुप करा दिया गया।
जिन आवाज़ों से
घर और बाहर गुलज़ार रहते थे,
वो खामोश हो गये हैं।
ये अब कोई एक
घटना नहीं,
हर रोज़ की कहानी है।
कभी इस शहर
कभी उस शहर,
कभी इस गाँव
कभी उस गाँव,
कहानियाँ वही
जो दोहरायी जाती रहीं,
वहशीपन इतना कि रूह
कांप जाय,
अब हम इंसान कहलाने
लायक नहीं,
हैवान अब चारों ओर हैं,
चाहें जिस तरफ नज़र डालिए।
~ शाहिद अंसारी 

कोई टिप्पणी नहीं: