मंगलवार, 10 जुलाई 2018

गज़ल

सब चाहते हैं इस दिल को,
ये दिल किसी को नहीं चाहता ।

रोते हुए वो बोला सबसे,
कोई है जो हँसी को नहीं चाहता ।

सब ढूंढते हैं खूबियाँ मेरी,
कोई मेरी कमी को नहीं चाहता ।

आसमान पर नज़र है रखी ,
ये परिंदा ज़मीं को नहीं चाहता ।

यां इंसान आदमी से डरता है,
आदमी आदमी को नहीं चाहता ।
_शाहिद

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