एक बात
बस एक
सीधी सपाट
जुबान से कह
देना
आसान नहीं हो रहा
ये डर नहीं है
पर आखिर कैसे
और कहाँ से शुरू करूँ
उस दिन से जब
पहली बार देखा था तुम्हे
धानी कलर के टॉप में
पहली बार
तुम्हारी आँखें
उस दिन के बाद आज तक
परेशां करती है मुझे
मैं चाह के भी
कुछ और नहीं देख पाता
हर जगह हर दिन
तुम्हे ढूंढता रहता हूँ
देखता रहता हूँ खुद के पास
कई बार कोशिश की कहने की भी
पर हिम्मत जवाब दे जाती है
मैं हमेशा नहीं होने की
वजह ढूंढता रहता हूँ
कभी कोशिश भी नहीं कर पाता
पर मै कहना चाहता हूँ
हम दोनों दो अलग दुनिया से हैं
पर मुझे तुम्हारा साथ पसंद है
बहुत ज्यादा
मै रहना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ हमेशा
क्या ऐसा हो सकता है?
क्या तुम भी ऐसा कुछ सोचती हो
या ये सिर्फ मेरा वहम है
मुझे नहीं मालूम
पर मै अपने दिल पे इतना
बोझ नहीं रख सकता
मुश्किल है मेरे लिए
जिंदगी भर इस उलझन में जीना
मै बस आज तुमसे यही कहना चाहता हूँ...
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