झुके कंधे , थकी आँखें
है कैसा बोझ लिए तू घूम रहाज़रा देख कभी उस पार भी तो
वहां सारा आलम झूम रहा
दुनिया के सारे लतीफों में
अपनी सूरत क्यों देख रहा
क्यों झूठ मूट के चक्कर में
यूँ सारा जीवन फ़ेंक रहा
कभी सोच ज़रा तकदीर का सच
तदबीर से आगे जाएगा
जो खोया तूने आज जो है
फिर वापस कब तू पायेगा
बस चलता चल आगे आगे
सपने मत देख जागे जागे
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