कल जो धडकने सुन रहा था
तुम्हारे दिल की
तुम खामोश हो गयी थी कुछ पल को
उस दौरान कोई बात नहीं हुई
लेकिन शायद सबसे ज्यादा
बातें हुई उस ख़ामोशी में
सिगरेट के टुकड़े से
अखबार में जो आग लगी थी
पानी भी नहीं मिला बुझाने को उसे
पर वो आग अच्छी लग रही थी
आसमान में चाँद दिख रहा था और ठंडी
हवाएं छू रही थी दिल को
तुम्हारे सवाल का जवाब नहीं था मेरे पास
कि आदत क्यों ड़ाल रहे हो?
क्या बताऊँ और बहुत सारी चीज़ों
की भी तो आदत पड़ चुकी है
और तुम्हारी तो सबसे ज्यादा
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