शनिवार, 26 मार्च 2011

खुशियों के पर लग 
जाते हैं

वो हमारे चेहरों से उड़ के
दूसरों के चेहरे पे जाते है

और ऐसे ही चलते रहते हैं

क्यों न इन रंगों को 
यूँही फैलने दे

चारों तरफ 

थोड़ी खूबसूरत दुनिया हो 
जाए शायद उसके बाद


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