रविवार, 18 सितंबर 2011

दुआ

खोने को चंद दिन हैं,
जगने को चंद रातें ,

बारिश की कुछ हो बूँदें,
जो याद कुछ दिला दे,

चाहत का कैसा मौसम 
आता है और जाता है,

जीने की ख्वाहिशें कब,
मिटटी में कुछ मिला दे,

दिन चार ज़िन्दगी के ,
शिकवे शिकायतों के,

सब भूल जाने को,
आ दिल से दिल मिला दें,

कुछ दिन भटकते जाना,
मिल जाना फिर किसी दिन,

चेहरे की सिलवटों को,
खुश हो के फिर बुझा दें,

दो पल जिए थे खुद को,
फिर लौट आये वापस,

जो साथ आ गए थे,
उन सब को हम दुआ दें......

कोई टिप्पणी नहीं: