बुधवार, 16 अगस्त 2017

सुनो।

Listen!

Listen!
if the stars are lit,
then someone must need them, of course?
then someone must want them to be there,
calling those droplets of spittle pearls? 

And wheezing,
in the blizzards of midday dust,
he rushes to God,
fearing he’s out of time
and sobbing,
he kisses God’s sinewy hands, 

tells Him that it’s important,
pleads to Him that the star must shine!
vowing
that he won’t survive the starless torment!
And later,
he wanders, worried,
though seemingly calm and fit,
and tells somebody:

“Finally, nothing can
frighten you,
right?!”
Listen!
if the stars are lit,
then someone must really need them?
then it is essential
that at least one star
alights
over the rooftops each night?!

By Vladimir Mayakovsky
Translation by Andrey Kneller

सुनो।  

सुनो!
अगर सितारे चमक रहे हैं ,
फिर किसी को तो उनकी ज़रूरत होगी, बेशक?
फिर कोई तो चाह्ता होगा कि वो वहां रहे,
और जो उन बूंदों को पुकार रहा है लार के मोती ?

और दिन की धुल भरी आँधियों की घरघराहट में 
वो भगवान् के पास  
दौड़ता है,
इस डर में कि उसका वक़्त ख़त्म हो रहा है। 

और रोते हुए,
वो भगवान् के मजबूत हाथों को चूम लेता है। 
उनसे कहता है, कि ये ज़रूरी है कि सितारे चमकें 

इस शपथ के  साथ 
कि वो नहीं सह पाएगा बिना सितारों वाली प्रताड़ना। 

और फिर बाद में,
वो भटकता है, चिंतामग्न,
जबकि मालूम होता है कि वो शांत और तंदुरुस्त है ,

और फिर किसी से कहता है:

"आखिरकार, अब कुछ भी 
तुम्हे डरा नहीं सकता 
क्यों? 
सुनो!
अगर सितारे चमक रहे हैं 
फिर किसी को तो उनकी ज़रूरत होगी, बेशक?

इसलिए ये ज़रूरी है कि 
कम से कम 
एक सितारा 
छत के ऊपर ज़रूर चमकता रहे 
हर रात "

द्वारा : ब्लादीमिर मायकोव्स्की 
अंग्रेजी अनुवाद : आंद्रे नेल्लेर 
हिंदी अनुवाद : शाहिद अंसारी

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