और शायद हम लोग
करीब करीब प्यार में पड़ जाएंगे,
मैं उसकी आँखों में देखूँगी
और वो मेरी आँखों में देखेगा -
मेरी इकलौती आँख ,
(बेचारी दूसरी आँख
अंधी हो गयी
एक अनुशासित
करते थप्पड़ से )
और फिर हम इस बात पर सहमत
हो जायेंगे और एडजस्ट कर लेंगे
इस बात पर कि प्यार अँधा हो सकता है ,
और वो , एक स्वस्थ लड़का ,
खाता पीता , सफ़ेद अपने लाल गालों के साथ ,
अचरज करेगा मेरे बारे में ,
तरस खायेगा मेरी हड्डियों वाले शरीर पर ,
और उन पतली पसलियों पर,
और चिंता करेगा
और महसूस करेगा
मेरे मुड़े हुए कान
और मेरे हाथों के घाव
(जो कि याद है मेरी त्वचा और
एक क्रूर बेंत की लीला की )
और शायद फिर मेरी
स्कर्ट उठाएगा
इस से पहले की वो जान पाए
और बड़े आतंक को
मुझ पर उसको सच बताने का बोझ है
इसलिए मैं उसको कहूँगी :
"मैं स्कूल गयी थी" !
लेखिका : मीना कंडासामी
अनुवाद : शाहिद अंसारी
करीब करीब प्यार में पड़ जाएंगे,
मैं उसकी आँखों में देखूँगी
और वो मेरी आँखों में देखेगा -
मेरी इकलौती आँख ,
(बेचारी दूसरी आँख
अंधी हो गयी
एक अनुशासित
करते थप्पड़ से )
और फिर हम इस बात पर सहमत
हो जायेंगे और एडजस्ट कर लेंगे
इस बात पर कि प्यार अँधा हो सकता है ,
और वो , एक स्वस्थ लड़का ,
खाता पीता , सफ़ेद अपने लाल गालों के साथ ,
अचरज करेगा मेरे बारे में ,
तरस खायेगा मेरी हड्डियों वाले शरीर पर ,
और उन पतली पसलियों पर,
और चिंता करेगा
और महसूस करेगा
मेरे मुड़े हुए कान
और मेरे हाथों के घाव
(जो कि याद है मेरी त्वचा और
एक क्रूर बेंत की लीला की )
और शायद फिर मेरी
स्कर्ट उठाएगा
इस से पहले की वो जान पाए
और बड़े आतंक को
मुझ पर उसको सच बताने का बोझ है
इसलिए मैं उसको कहूँगी :
"मैं स्कूल गयी थी" !
लेखिका : मीना कंडासामी
अनुवाद : शाहिद अंसारी
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