रविवार, 20 अगस्त 2017

शब्द

मेरे चारों तरफ शब्द हैं ,
और शब्द और शब्द,

वो मुझ पर पत्तियों की
तरह बढ़ते हैं,

वो अपनी धीमी गति से
हो रही प्रगति को रोकते
प्रतीत नहीं होते ,

अंदर से, लेकिन मैं खुद
को कहती हूँ,

शब्द एक बाधा हैं,
उनसे सावधान रहिए ।

वो बहुत सी चीजे़ हो सकते हैं,
एक गहरी खाई जिसके सामने
दौड़ते पांव रुकने चाहिए।

एक समंदर जिसकी लहरें
शक्तिहीन हों,

एक जलती हुई हवा
का धमाका, या फिर
एक चाकू जो
आपके सबसे अच्छे दोस्त
का गला काटना चाहती हो,

शब्द एक बाधा हैं लेकिन ,

वो मुझ पर एेसे बढ़ते हैं,
जैसे पेड़ पर पत्तियाँ,

वो अपना आना कभी
रोक नहीं पाते,
भीतर के एक सन्नाटे से ।

लेखिका : कमला दास
अनुवाद : शाहिद अंसारी

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