गुरुवार, 31 अगस्त 2017

ग़ज़ल

रिश्ता तोड़ना चाहते हो, तो तोड़ जाओ,
मेरे हिस्से की मुहब्बत,यहाँ छोड़ जाओ।।

ले जाओ अपने साथ, अपनी चाँदनी रातें,
मेरे हिस्से का आधा चाँद, यहाँ छोड़ जाओ।।

_____शाहिद अंसारी 

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