हो कहीं भी दिल के करीब है, तू अभी भी मेरा हबीब है..
जो टूट गया वो तो ख्वाब था,जो है रह गया वो नसीब है
वो उतर गया जो खुमार था, ये तो दो दिनों का प्यार था
जो गुज़र गयी है वो दास्ताँ, मेरे दोस्तों कितनी अजीब है...
चाहे सुबह हो या के शाम हो, इस ज़ुबां पे बस तेरा नाम हो
तुझे ले गया मुझसे छीन के, वो खुदा ही मेरा रक़ीब है....
रविवार, 27 दिसंबर 2009
गुरुवार, 10 दिसंबर 2009
निभाए जा रहा है...
कोई दर्द है जो उसको खाए जा रहा है
कोई राज़ वो सबसे छिपाए जा रहा है....
कुछ नहीं बाकी है इस रिश्ते में फिर भी
कुछ बात तो है जो निभाए जा रहा है....
हर कोशिश नाकाम हुई है अब तक, कि ये
उसका सब्र है की कुछ नया आजमाए जा रहा है...
दिल ही दर्द देता है और दुआ भी"शाहिद"
ये बात बारहा दोहराए जा रहा है...
कोई राज़ वो सबसे छिपाए जा रहा है....
कुछ नहीं बाकी है इस रिश्ते में फिर भी
कुछ बात तो है जो निभाए जा रहा है....
हर कोशिश नाकाम हुई है अब तक, कि ये
उसका सब्र है की कुछ नया आजमाए जा रहा है...
दिल ही दर्द देता है और दुआ भी"शाहिद"
ये बात बारहा दोहराए जा रहा है...
मंगलवार, 8 दिसंबर 2009
रिश्ते खून के नहीं छूटा करते ..
रिश्ते खून के नहीं छूटा करते
कल कह दिया था जिस से की
जाओ अब कोई नाता नहीं तुमसे
चला गया था वो मुड़ के देखते हुए
उम्मीद थी उसको की
अब नहीं लौटेगा वापस
नहीं देखने आएगा एक बार भी ये घर
कुछ दिनों में दुनिया की बातों
में वो भी खो गया था
अपने बचपन के दोस्तों की तरह
पर आज खबर देख के रहा न गया उस से
अगली सुबह ही देखने पहुच गया
और चाँद लम्हों में ही आंसुओं में
अपनी साड़ी कड़वाहट धो दी.
कल कह दिया था जिस से की
जाओ अब कोई नाता नहीं तुमसे
चला गया था वो मुड़ के देखते हुए
उम्मीद थी उसको की
अब नहीं लौटेगा वापस
नहीं देखने आएगा एक बार भी ये घर
कुछ दिनों में दुनिया की बातों
में वो भी खो गया था
अपने बचपन के दोस्तों की तरह
पर आज खबर देख के रहा न गया उस से
अगली सुबह ही देखने पहुच गया
और चाँद लम्हों में ही आंसुओं में
अपनी साड़ी कड़वाहट धो दी.
नाराज़गी .....
थामेगा हाथ कौन अगर ये देखना है तो
ऐसे ही कभी तो कहीं पे लड़खड़ाइए ....
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ऐसी भी क्या बात है अजी मुस्कुराइए...
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गुस्से में सूरत भी बहुत लगती है हसीन
दिल फिर भी कहता है अमा मान जाइए...
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ऐसे ही कभी तो कहीं पे लड़खड़ाइए ....
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ज़ुबां और आँखों की बयानी में फर्क बहुत है
दोनों में किसकी माने पहले ये बताइए....
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बात बात पे रोने की आदत है ये बुरीऐसी भी क्या बात है अजी मुस्कुराइए...
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गुस्से में सूरत भी बहुत लगती है हसीन
दिल फिर भी कहता है अमा मान जाइए...
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सोमवार, 7 दिसंबर 2009
सबूत .....
रस्मो रिवाज निभाने की खातिर,
या एक झूठे बहाने की खातिर,
बात कुछ भी हो अब सफाई न दे!!
अब कहने पे भी भरोसा करेगा कौन.
जो बुरा हो चुका उसको अच्छा कहेगा कौन,
ऐसी बेगुनाही की अब दुहाई न दे!!
______शाहिद
या एक झूठे बहाने की खातिर,
बात कुछ भी हो अब सफाई न दे!!
अब कहने पे भी भरोसा करेगा कौन.
जो बुरा हो चुका उसको अच्छा कहेगा कौन,
ऐसी बेगुनाही की अब दुहाई न दे!!
______शाहिद
रविवार, 6 दिसंबर 2009
एक बार अगर...
गर जानना है लिखा है क्या, तो किताब पढ़ के देख
पहचानना है गर मुझे , तो दिल में उतर के देख !!
है कौन सा मसला, जो सुलझ नहीं सकता,
फुर्सत अगर मिले, तो कभी बात कर के देख !!
है साथ क्या ,क्या छूट गया,अब ये बताये कौन,
घड़ी दो घड़ी को तू भी, तो कहीं पर ठहर के देख !!
पैसे ने उड़ाई है कितनों की नींद-ओ-चैन,
कभी किसी अमीर के, बिस्तर पे जा के देख !!
वो लौट भी आएगा बस इतनी सी शर्त है,
दिल से कभी "शाहिद", तू उसको याद कर के देख !!
_________ शाहिद अंसारी
पहचानना है गर मुझे , तो दिल में उतर के देख !!
है कौन सा मसला, जो सुलझ नहीं सकता,
फुर्सत अगर मिले, तो कभी बात कर के देख !!
है साथ क्या ,क्या छूट गया,अब ये बताये कौन,
घड़ी दो घड़ी को तू भी, तो कहीं पर ठहर के देख !!
पैसे ने उड़ाई है कितनों की नींद-ओ-चैन,
कभी किसी अमीर के, बिस्तर पे जा के देख !!
वो लौट भी आएगा बस इतनी सी शर्त है,
दिल से कभी "शाहिद", तू उसको याद कर के देख !!
_________ शाहिद अंसारी
हम सीखा करते हैं.....
अब आइना देखने की फुर्सत ही नहीं
दूसरों की आँखों में खुद को देखा करते हैं
.....
ज़िन्दगी जीना भी कोई आसान फन नहीं
जागते सोते यही रोज़ हम सीखा करते हैं.
......
दिल भर आता है उसकी ज़बानी सुन के
दास्ताँ-ए-उलफ़त वो कुछ ऐसे बयाँ करते हैं
......
हमें श.ऊर नहीं है बात करने का अगर
जो आप कहते है तो बज़ा कहते हैं.
......
खुद को जला के भी जो रोशन जहाँ करे
उसी आग को ही तो शमा कहते हैं.
.......
दूसरों की आँखों में खुद को देखा करते हैं
.....
ज़िन्दगी जीना भी कोई आसान फन नहीं
जागते सोते यही रोज़ हम सीखा करते हैं.
......
दिल भर आता है उसकी ज़बानी सुन के
दास्ताँ-ए-उलफ़त वो कुछ ऐसे बयाँ करते हैं
......
हमें श.ऊर नहीं है बात करने का अगर
जो आप कहते है तो बज़ा कहते हैं.
......
खुद को जला के भी जो रोशन जहाँ करे
उसी आग को ही तो शमा कहते हैं.
.......
शनिवार, 5 दिसंबर 2009
लोगों की बात
दो चार दिन की बात है हंगामा खत्म हो जाएगा
बहुत कमज़ोर है याददाश्त यहाँ लोगों की.......
कल फिर उन्ही को गले से लगायेंगे
खाते थे कसमें जिन की हर रोज़ देख लेने की.............
उम्र भर के निभाने का कोई वादा नहीं होता यहाँ
चाहे वो दुश्मनी की बात हो की दोस्ती की.........
बहुत कमज़ोर है याददाश्त यहाँ लोगों की.......
कल फिर उन्ही को गले से लगायेंगे
खाते थे कसमें जिन की हर रोज़ देख लेने की.............
उम्र भर के निभाने का कोई वादा नहीं होता यहाँ
चाहे वो दुश्मनी की बात हो की दोस्ती की.........
कोई बात
कोई बात हो जो बता सकें, कोई दास्ताँ जो सुना सकें
कोई नज़्म इतनी पसंद हो जिसे रात दिन गुनगुना सकें
कोई फूल हो जो खिला न हो, कोई दोस्त हो जो मिला न हो
कोई याद इतनी पसंद हो जिसे भूले से हम न भुला सकें
एक वक़्त के बाद
नजरिया बदल जाता है एक वक़्त के बाद;
नयी सीख मिलती है हर शिकश्त के बाद....
दर्द आँखों से बह जाए तो अछा होगा;
नहीं तो नासूर हो जाता है वो ज़ब्त के बाद....
______शाहिद अंसारी
नयी सीख मिलती है हर शिकश्त के बाद....
दर्द आँखों से बह जाए तो अछा होगा;
नहीं तो नासूर हो जाता है वो ज़ब्त के बाद....
______शाहिद अंसारी
पहली कोशिश
पहली कोशिश
ख्यालों को लफ़्ज़ों में पिरोने की
कुछ बताने की कुछ सुनाने की
आज करने जा रहा हूँ
एक नए रास्ते पर
एक नयी मंजिल की ओर
एक नए जोश के साथ
मैं बढ़ने जा रहा हूँ
ख्यालों को लफ़्ज़ों में पिरोने की
कुछ बताने की कुछ सुनाने की
आज करने जा रहा हूँ
एक नए रास्ते पर
एक नयी मंजिल की ओर
एक नए जोश के साथ
मैं बढ़ने जा रहा हूँ
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