रविवार, 6 दिसंबर 2009

एक बार अगर...

गर जानना है लिखा है क्या, तो किताब पढ़ के देख
पहचानना है गर मुझे  , तो दिल में उतर के देख !!

है कौन सा मसला, जो सुलझ नहीं सकता,
फुर्सत अगर मिले, तो कभी बात कर के देख !!

है साथ क्या ,क्या छूट गया,अब ये बताये कौन,
घड़ी दो घड़ी को तू भी, तो कहीं पर ठहर के देख !!

पैसे ने उड़ाई है कितनों की नींद-ओ-चैन,
कभी किसी अमीर के,  बिस्तर पे जा के देख !!

वो लौट भी आएगा बस इतनी सी शर्त है,
दिल से कभी "शाहिद", तू उसको याद कर के देख !!

_________ शाहिद अंसारी 

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