शनिवार, 5 दिसंबर 2009

कोई बात

कोई बात हो जो बता सकें, कोई दास्ताँ जो सुना सकें
कोई नज़्म इतनी पसंद हो जिसे रात दिन गुनगुना सकें

कोई फूल हो जो खिला न हो, कोई दोस्त हो जो मिला न हो
कोई याद इतनी पसंद हो जिसे भूले से हम न भुला सकें




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