शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

अफ़सोस

मेरे रास्ते अब मुझ से 
कहते है इतना तेज़ न चलो

इतना तेज़ नहीं की कुछ देख न पाओ
कितने मोड़ पीछे छूटे जाते हैं
    
कितने ख्वाब मुड़े जाते हैं
उन्हें खोल के देखो 

पढो उन्हें ,समझो उन्हें
थोडा महसूस करो

यूँ न करो 
कि देख के उन्हें अनदेखा कर दो

वरना वो भी एक दिन ऐसा ही करेंगे 

और उस दिन
सिवा अफ़सोस के तुम कुछ नहीं कर पाओगे...

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