शाखों पे फूल खिल आये ,
मौसम भी कुछ बदल आया;
अफ़सोस इस बात का है मगर,
पिछली सर्दियों में,
कुछ दूर चल दिए होते
तो अच्छा होता..
तूफ़ान भी थम गया है;
हलचल भी कम हो गयी;
अफ़सोस इस बात का है मगर,
पिछली बार किनारे पे,
तुम मिल गए होते
तो अच्छा होता..
अँधेरा भी कम हो गया है;
रौशनी भी वापस आ गयी है;
अफ़सोस इस बात का है मगर,
पिछली चांदनी रात में ही ;
सितारे टूट गए होते तो अच्छा होता..
-शाहिद
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