मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

अच्छा होता..

शाखों पे फूल खिल आये , 
मौसम भी कुछ बदल आया;

अफ़सोस इस बात का है मगर,

पिछली सर्दियों में,
कुछ दूर चल दिए होते 

तो अच्छा होता..

तूफ़ान भी थम गया है;
हलचल भी कम हो गयी;

अफ़सोस इस बात का है मगर,

पिछली बार किनारे पे,
तुम मिल गए होते 

तो अच्छा होता..

अँधेरा भी कम हो गया है;
रौशनी भी वापस आ गयी है;

अफ़सोस इस बात का है मगर,

पिछली चांदनी रात में ही ;
सितारे टूट गए होते तो अच्छा होता..

-शाहिद

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