तू हर्फ़-इ-नूर
तू एक स्याह रात भी है;
तुझसे रंज
तुझसे शिकवा
तुझसे शिकायत भी बहुत पर
तू ही एक दुनिया
तू एक ख्वाब
एक हसरत भी तू है;
तुझसे बेहतर कुछ भी नहीं
मेरे पास शायद
इसलिए तुझ में खोना
एक आदत सी हो गयी है;
मिल जायेंगे मुझको
भी नए शेर नए मतलब
नयी ग़ज़ल तुम जैसी
शायद मगर बन पाए न फिर मुझसे
इस बात की ख़ुशी भी है
तकलीफ भी बहुत
एक साँस को
भी तुझसे छुटकारा नहीं मिलता;
जो खो गया एक बार
वो दोबारा नहीं मिलता;
-शाहिद
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