गुरुवार, 22 मार्च 2012

....

दबा दबा सा

कहीं एक एहसास
ही तो था,

कल जो
सामने दिखा तो
बाहर आ गया,

मुझसे डरता है,

जाने किस बात से,

मै उसे कुछ नहीं
कहूँगा

पर उसे फिर भी
डर लगता है,

मुझसे ,
या मेरी परछाई से

कल हिम्मत जुटा कर बोल पड़ा,

आप बहुत बदल गए हैं/


सच ही तो है...

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