बहुत आसान लफ़्ज़ों में जवाब दिया उसने,
यहाँ के पानी में कोई गुलाब नहीं खिलता...
जिसे तुम ढूँढने आये हो मीलों चलकर,
वैसा कोई जवाब यहाँ नहीं मिलता..
अपने ख़्वाबों को अपने पास समेट कर रखो,
टूटे ख़्वाबों का कोई हिसाब यहाँ नहीं मिलता...
यूँ तो मिल जाता है बिन मांगे बहुत,
पर मांगने से यहाँ कोई अज़ाब नहीं मिलता..
यहाँ के पानी में कोई गुलाब नहीं खिलता...
जिसे तुम ढूँढने आये हो मीलों चलकर,
वैसा कोई जवाब यहाँ नहीं मिलता..
अपने ख़्वाबों को अपने पास समेट कर रखो,
टूटे ख़्वाबों का कोई हिसाब यहाँ नहीं मिलता...
यूँ तो मिल जाता है बिन मांगे बहुत,
पर मांगने से यहाँ कोई अज़ाब नहीं मिलता..
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