रात बहुत बेचैन रहती है.
रात बहुत सुनसान रहती है,
रात अधूरी रहती है
तुम्हारे बिना,
अँधेरा नही छटता,
सुबह नहीं होती
कभी नहीं होती ,
सिर्फ एक रौशनी का एहसास
जगा देता है,
कोई ताजगी नहीं,
जैसे ज़हन पे
घास उग आई हो,
लम्बे वक़्त से
सीलन का एहसास ,
जो किसी धूप से,
किसी गर्माहट से
ख़तम नहीं होगी,
वक़्त यूँही तो नहीं रहेगा हमेशा?
बोलो..!
रात बहुत सुनसान रहती है,
रात अधूरी रहती है
तुम्हारे बिना,
अँधेरा नही छटता,
सुबह नहीं होती
कभी नहीं होती ,
सिर्फ एक रौशनी का एहसास
जगा देता है,
कोई ताजगी नहीं,
जैसे ज़हन पे
घास उग आई हो,
लम्बे वक़्त से
सीलन का एहसास ,
जो किसी धूप से,
किसी गर्माहट से
ख़तम नहीं होगी,
वक़्त यूँही तो नहीं रहेगा हमेशा?
बोलो..!
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