बुधवार, 7 मार्च 2012

ग़ज़ल,

बादलों में छुप जाता कहीं ,
कोई किस्सा कभी तो पुराना होता...


जो कभी सुन ली होती ज़माने की हमने,
मेरे पीछे भी तो ज़माना होता..


दिल के दरवाजे से जो न लौट आता,
तो मै भी एक दीवाना होता..


कुछ रास्तों ने मुझे गुमराह किया,
वरना मै भी एक इंसान सयाना होता..


तुम्हारे लबों ने जो छू लिया होता,
वो नज़्म भी एक तराना होता..



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