बादलों में छुप जाता कहीं ,
कोई किस्सा कभी तो पुराना होता...
जो कभी सुन ली होती ज़माने की हमने,
मेरे पीछे भी तो ज़माना होता..
दिल के दरवाजे से जो न लौट आता,
तो मै भी एक दीवाना होता..
कुछ रास्तों ने मुझे गुमराह किया,
वरना मै भी एक इंसान सयाना होता..
तुम्हारे लबों ने जो छू लिया होता,
वो नज़्म भी एक तराना होता..
कोई किस्सा कभी तो पुराना होता...
जो कभी सुन ली होती ज़माने की हमने,
मेरे पीछे भी तो ज़माना होता..
दिल के दरवाजे से जो न लौट आता,
तो मै भी एक दीवाना होता..
कुछ रास्तों ने मुझे गुमराह किया,
वरना मै भी एक इंसान सयाना होता..
तुम्हारे लबों ने जो छू लिया होता,
वो नज़्म भी एक तराना होता..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें