सोमवार, 13 मई 2019

दिल के टुकड़े

दिल के टुकड़े
कांच के नहीं होते,

चुभते बिल्कुल भी नहीं
बस समेटे नहीं जाते,

एक क़तरा
तुम्हारे हिस्से,
एक मसाएल के नाम,

कुछ मध्धम सी
मीठी सी हंसी के नाम,
कुछ चेहरे की खुशी के नाम,

मैं दिल बांट देता हूँ,
कि बाँटने से दिल हज़ार हो जाते हैं,

यूँ तो लोग खुशियाँ बाँटने की
बात करते हैं,
और दिल के टूटने की,

पर दिल के हिस्सों पर
कुछ ज्यादा काम हुआ नहीं अब तक।  

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