सोमवार, 13 मई 2019

चौकीदार

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चौराहे पर खड़ा है
चौकीदार,
कर रहा है
खबरदार,

हो जाओ अब
समझदार।

कि सुन लो बात
पते की यार।

किधर से आई है ये रेल,
कि जिसमें हो गयी ठेलम ठेल,

इस रेलम पेल से
बचकर
जो भाई
हो आया है पार,
मैं उसको समझूं होशियार,
कि सुन लो बात पते की यार,

चौराहे पर खड़ा है
देखो कैसा चौकीदार,
कि तुम
हो जाओ खबरदार,

मंडी में है जाम,
कहाँ अटका है अपना काम?
जब गाँधी हैं अपने साथ,
तो फिर चिंता की क्या है बात,
मिलेगा सब कुछ मांगो तुम,
कहो चिंता का समाचार,
खड़ा है सामने चौकीदार,
कि हो जाओ अब समझदार,
सुनो तुम बात पते की यार ।

पी एफ नहीं कटता
मिलती नहीं छुट्टी
एक भी दिन,

घर वाले भी
होली दीवाली
हैं मनाते मेरे बिन,

गेट पर
जिसको रोकूँ
वो देता है
मुझे गिन गिन,

आसानी का काम नहीं
बड़ा मुश्किल समाधान,
फिर भी हर रोज़
ड्यूटी पर मिलता है चौकीदार,
कि हो जाओ
अब खबरदार।

सपने बेचे,
अपने बेचे,
अब मैं बेच रहा दीवान,
मुश्किल से जो
जमा किया था थोड़ा सा सामान,

वही सब लेकर मैं
दौड़ पड़ा हूँ मरने को तैयार,

बड़ी मुश्किल है मेरे यार,
सुन लो बात पते की यार,

चौराहे पर खड़ा
जो दिख रहा है चौकीदार,
उससे कर लो बातें चार ।

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