सोमवार, 13 मई 2019

गज़ल


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तुम्हारे इश्क का सामान हूँ मैं,
बहुत मुश्किल नहीं, आसान हूँ मैं।

लबों पे ले तो आओ हसरते दिल,
फिर न कहना कि, बेजु़बान हूँ मैं ।

आ के बस जाओ तुम मेरे ही अंदर,
तुम जो तलवार हो, म्यान हूँ मैं ।

लिखा है खूँ ए दिल की स्याही से जिसे,
तुम वो नज़्म हो, जिसका उन्वान हूँ मैं ।

ज़फा से चल तो लो वफा की जानिब,
मिलूँगा मैं भी, दरम्यान हूँ मैं ।

इबादतों के सिलसिले नहीं रूकेंगे कभी,
तुम मेरा दीन हो, ईमान हूँ मैं ।

~ शाहिद

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