बुधवार, 10 अगस्त 2011

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मै जो कहता हूँ,मेरी बातों का असर नहीं जाता;
लाख चाहते हुए भी, वो आँख से उतर नहीं जाता....

वहशत कुछ इस तरह से उस पे छाई है;
कि वो शाम को लौट के फिर घर नहीं जाता....

बहुत टूटा है मगर फिर भी जाने  क्यों? 
वो रोते रोते भी कभी बिखर  कर  नहीं  जाता ....

उसी का नाम दिल में छुपाये फिरता है;
पर उसका नाम कभी, उसकी जुबां पर नहीं जाता....

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