गुरुवार, 25 अगस्त 2011

..........

जो मेरे ख्वाब जलते हैं,

कभी देखा है तुमने उन्हें,

जलते  हुए वे तुम्हारा नाम ले 
के पुकारते हैं...

परसों वो मेरे घर की 

खिड़की  से कूद कर भाग रहे थे,

बाहर  हलकी बारिश हो रही थी,

 चाँद जो मुंडेर से  झाँक रहा था ,

  उन्हें डांट कर अन्दर  ले  आया...

कोई टिप्पणी नहीं: