हम जो उलझे तो बारहा उलझे ;
दिल के मसले कभी सुलझे ही नहीं..
सबब उस बात का क्या रहा होगा;
ये सोचने में वक़्त भी ज़ाया होगा...
यही सोच के थकता रहा था दिल भी मगर
आज एक उबाल आ गया वाँ भी,
कुछ हादसे रोज़
होने के लिए होते है शायद
दिल के मसले कभी सुलझे ही नहीं..
सबब उस बात का क्या रहा होगा;
ये सोचने में वक़्त भी ज़ाया होगा...
यही सोच के थकता रहा था दिल भी मगर
आज एक उबाल आ गया वाँ भी,
कुछ हादसे रोज़
होने के लिए होते है शायद
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