सोमवार, 21 नवंबर 2011

Ghazal

कल जो आऊंगा घर तुम्हारे ,तो पहचान लेना;
धडकने  तेज़ हो जाएँ तो,हाथ थाम लेना....

जो मेरे चेहरे की उदासी चली जाए कहीं;
तो तुम इस बात का भी इलज़ाम लेना...


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