तुम हकीकत तो नहीं हो लेकिन,
इतना तो यकीन है मुझको;
कि कहीं दिल के गलियारों में
वो सुहानी शाम रहती है..
कहीं पत्ते भी सरसराते हैं,
बदन में सिहरन सी होती है;
यही लगता है कि नदी के उस पार;
अब भी छोटी सी परी रहती है..
वो झरना जो बहता है साफ़ पानी का;
उसकी भी अपनी एक कहानी है,
वो पत्थर जो उस झील में डूबा भी नहीं,
मुझसे कहता है कोई दास्ताँ सुनाओ तुम;
इतनी जल्दी मत अजनबी बन जाओ तुम.....
इतना तो यकीन है मुझको;
कि कहीं दिल के गलियारों में
वो सुहानी शाम रहती है..
कहीं पत्ते भी सरसराते हैं,
बदन में सिहरन सी होती है;
यही लगता है कि नदी के उस पार;
अब भी छोटी सी परी रहती है..
वो झरना जो बहता है साफ़ पानी का;
उसकी भी अपनी एक कहानी है,
वो पत्थर जो उस झील में डूबा भी नहीं,
मुझसे कहता है कोई दास्ताँ सुनाओ तुम;
इतनी जल्दी मत अजनबी बन जाओ तुम.....
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