मुझको अँधेरी गलियों में
कुछ दिन तो और भी चलना है;
जब तक साहस है देखूंगा,
जब तक हिम्मत है देखूंगा,
फिर छोड़ के ये, जग सारा
तेरे रास्ते पे ही निकलना है;
मुझको अँधेरी गलियों में
कुछ दिन तो और भी चलना है;
जब हंगामा थम जाएगा;
जब मन मेरा रम जाएगा;
उस दिन मै खुद से पूछुंगा;
कि मुझको कब फिर ढलना है;
मुझको अँधेरी गलियों में
कुछ दिन तो और भी चलना है;
-शाहिद
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