बहुत दिनों से तेरा नाम
काग़ज़ पे नहीं लिखा;
आज लिखता हूँ
तो एक
बात याद आती है,
वो तेरा सामने से गुज़र जाना,
फिर कहीं चुपके से नज़र आना,
कभी देखने पे,
हौले से मुस्काना ,
वो तेरा शर्माना,
वो तेरा घबराना,
आफतों का एक पहाड़
टूटा था कभी;
तेरा नाम लिख के मिटाया हमने...
दिल को खूब आजमाया हमने
फिर तेरा नाम मेरे पास ही रहा
मिटता रहा, धुंधला पड़ा;
आज फिर से
उसी रेत में चलते हुए ;
जाने क्यों फिर तेरा नाम नज़र आया..
जिसको हमने सुर्ख काग़ज़ पे दोहराया....
काग़ज़ पे नहीं लिखा;
आज लिखता हूँ
तो एक
बात याद आती है,
वो तेरा सामने से गुज़र जाना,
फिर कहीं चुपके से नज़र आना,
कभी देखने पे,
हौले से मुस्काना ,
वो तेरा शर्माना,
वो तेरा घबराना,
आफतों का एक पहाड़
टूटा था कभी;
तेरा नाम लिख के मिटाया हमने...
दिल को खूब आजमाया हमने
फिर तेरा नाम मेरे पास ही रहा
मिटता रहा, धुंधला पड़ा;
आज फिर से
उसी रेत में चलते हुए ;
जाने क्यों फिर तेरा नाम नज़र आया..
जिसको हमने सुर्ख काग़ज़ पे दोहराया....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें