फिर से एक रात बेगानी हुयी;
ज़िन्दगी यूँही आनी जानी हुई..
वो बात की वक़्त को थाम लेंगे;
आज कितनी बेमानी हुई..
अपनी तकदीर लिखने का इरादा अपना;
आज समझा की बदगुमानी हुई...
खुदा के नाम पे खुदा से पर्दा ;
मियां ये तो बेईमानी हुई...
तुम में कुछ बात ही ऐसी थी;
यूँ नहीं दुनिया ये दीवानी हुई...
ज़िन्दगी यूँही आनी जानी हुई..
वो बात की वक़्त को थाम लेंगे;
आज कितनी बेमानी हुई..
अपनी तकदीर लिखने का इरादा अपना;
आज समझा की बदगुमानी हुई...
खुदा के नाम पे खुदा से पर्दा ;
मियां ये तो बेईमानी हुई...
तुम में कुछ बात ही ऐसी थी;
यूँ नहीं दुनिया ये दीवानी हुई...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें