रविवार, 4 दिसंबर 2011

तेरी आँखों में












तेरी आँखों में
अभी भी कुछ नज़र आता है;

वो पुरानी बात तो नहीं है
लेकिन

ये चमक याद कुछ दिलाती है,

वो हथेलियों में चाँद को लेकर आना,
उसमे चेहरे को छुपाना तेरा,

छोड़ कर मुझको अकेला तन्हा,
रात को लौट कर जाना तेरा,

वो शमा अब भी
तेरी आँख में जलती तो है,

तू कभी मोम सी इस
बात पे पिघलती तो है,

तुझको पाने के इरादे
किये थे जो उसने

वो तो अब फिर कहीं नहीं बाकी

फिर भी जाने क्यों
तेरी आँखों में उसको ,

अभी भी कुछ नज़र आता है...



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