मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

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ये वक़्त जब कोई 
बात नहीं हो रही होती

ऐसा लगता है कि बीच समंदर में 

जहाँ बिलकुल कोई हलचल नहीं 
मेरा जहाज़ आकर रुक गया है

फिर अचानक से जहाज़ का इंजन 
शुरू होता है 

एक थर थर कि आवाज से 
वो पानी को चीरते हुए फिर वापस 
चलने लगता है
कुछ वैसे ही दिल कांपते कांपते 
फिर से धड़कने लगता है
और साँसें बिलकुल पहले जैसी 
मालूम होने लगती है


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