कह दो तुम भी कह दें हम भी
ऐसी क्या मजबूरी है
राज़ी तुम हो राज़ी हम हैं
फिर काहें की दूरी है
अनजानी राहों पर चल के
अनदेखे सपने ढूंढेंगे
तुमको खुद को और फिर चल के
हम भी खुदा को ढूंढेंगे
बदलेगा सब वक़्त हमारा
जो अच्छा होना होगा
फूल नए खिल आयेंगे फिर
बीज नए बोना होगा
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