हम ख़याल
शनिवार, 18 दिसंबर 2010
कुछ दीवारें टूटने
के लिए नहीं बनती
वो हमेशा के लिए खड़ी
हो जाती हैं
जब ऐसा हो तो ढूंढनी
पड़ती है कुछ खिड़कियाँ
दूसरी तरफ झाँकने के लिए
खुले रखने
पड़ते हैं
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